मगध साम्राज का उत्कर्ष (प्राचिन काल )

मगध साम्राज का उत्कर्ष (प्राचिन काल )

     



मगध पर शासक करने वाले प्रमुख शासक

  1. बृहद्रथ  2. हर्यक वंश 3.शिनुनागं वंश 4.नंद वंश

 5. मौर्य वंश 6.शुंग वंश


मगध राज्य का उत्कर्ष 

मगध के सबसे प्राचीन वंश के संस्थापक बृहद्रथ था। इसकी राजधानी गिरिब्रज (राजगृह ) थी। 

हर्यक वंश

हर्यक वंश का प्रमुख शासक

बिम्बिसार (52 वर्षो तक शासक)

अजातशत्रु (32 वर्षो तक शासक

उदायिन (कुछ समय के लिए)

नागदशक (कुछ समय के लिए)

हर्यक वंश के संस्थापक बिम्बिसार मगध की गद्दी पर 544ई.पू. (बौद्ध ग्रंथों के अनुसार ) में बैठा था। 

बिम्बिसार ने ब्रह्मदत को हराकर अंग राज्य को मगध में मिला लिया।और इनके द्वारा राजगृह का निर्माण कर उसे अपनी राजधानी बनाया।

अजातशात्रु

बिम्बिसार की हत्या उसके पुत्र अजातशत्रु ने कर दी और वह 493 ईसा पूर्व में मगध की गद्दी पर बैठा। इसका उपनाम कुणिक था। वह प्रारंभ में जैनधर्म का अनुयायी था। 

अजातशत्रु ने 32 वर्षो तक मगध पर शासन किया। अजातशत्रु के सुयोग्य मंत्री का नाम वर्षकार (वरस्कार ) था। इसी की सहायता से अजातशत्रु ने वैशाली पर विजय प्राप्त की। 

उदायिन

461ई. पू. में अपने पिता की हत्या कर उदायिन मगध की गद्दी पर बैठा। 

उदायिन ने पाटलग्राम की स्थापना की। वह जैनधर्म का अनुयायी था। हर्यक वंश  का अंतिम राजा उदायिन का पुत्र नागदशक था। और नागदशक को उसके अमात्य शिशुनाग ने 412 ईसा पूर्व में हो गया।


शिशुनाग

इसके तिन प्रमुख शासक थे

1.नागदशक2.कालाशोक3.नंदिवर्धन

शिशुनाग वंश की स्थापना की। शिशनाग ने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र से हटाकर वैशाली में स्थापित की। शिशुनाग का उत्तराधिकारी कालाशोक पुनः राजधानी को पाटलिपुत्र ले गया। शिशुनागं वंश का अंतिम राजा नंदिवर्धन था। नंदवंश का संस्थापक महापहनंद था। नंदवंश का अंतिम शासक घनानंद था। यह सिकन्दर का समकालीन था। इसे चन्द्रगुप्त मौर्य ने युद्ध में पराजित किया और मगध पर एक नये वंश मौर्य वंश की स्थापना की। 

मौर्य साम्राज्य 

               इसे पंढे 

प्रमुख शासक

1.चन्द्रगुप्त मौर्य 2.बिन्दुसार3.अशोक 4.बृहद्रथ

मौर्य वंश का संस्थापक  चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म 345ई.पू. में हुआ था। चन्द्रगुप्त  मगध की राजगद्दी पर 322 ईसा पूर्व में बैठा। जैनधर्म का अनुयायी था। चन्द्रगुप्त की मृत्यु 298 ई.पू. में श्रवणबेलागोला में उपवास द्वारा हुई। 


बिन्दुसार

चन्द्रगुप्त मौर्य का उत्तराधिकारी बिन्दुसार हुआ, जो 298 ईसा पूर्व में मगध कि राजगद्दी पर बैठा। बौद्ध विद्वान तारानाथ ने बिन्दुसार को 16 राज्यो का विजेता बताया है। बिन्दुसार की सभा में 500 सदस्यो वाली एक मंत्रीपरिषद थी। जिसका प्रधान खल्लाटक था।

अशोक 

बिन्दुसार का उत्तराधिकारी अशोक महान हुआ जो 269 ईसा पूर्व में मगध की राजगद्दी पर बैठा। अशोक की माता का नाम सुभद्रांगी था।राजगद्दी पर बैठने के समय अशोक अवन्ति का राज्यपाल था। मौर्य शासन 137 वर्षो तक रहा। भागवत पुराण के अनुसार नौ राजा हुए। मौर्यो वंश का अंतिम शासक बृहद्रथ था। इसकी हत्या इसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने 185 ईसा पूर्व में कर दी और मगध पर शुंग वंश की नींव डाली।


                  ब्राह्मण साम्राज्य 

शुंग एवं कण्व राजवंश 

पुष्यमित्र  शुंग, जिसने मगध पर शुंग वंश की नींव डाली,। ब्राह्मण जाति का था। शुंग शासकों ने अपनी राजधानी विदिशा में स्थापित की। शुंग वंश का अंतिम शासक देवभूति था। इसकी हत्या 73 ईसा पूर्व में वासुदेव ने कर दी और मगध की गद्दी पर कण्व वंश की स्थापना की। कण्व वंश का अंतिम राजा सुशर्मा हुआ।


                 सातवाहन राजवंश 

 शिमुक ने 60 ईसा पूर्व में सुशर्मा की हत्या कर दी और सातवाहन वंश की स्थापना की। सातवाहन (आन्ध्र वंश )शासकों ने अपनी राजधानी प्रतिष्ठान (गोदावरी नदी के किनारे ) में स्थापित कि सातवाहनों की  महत्वपूर्ण स्थापत्य कृतियाँ है। कार्ले का चैत्य, अजंता एवं एलोरा की गुफाओं का निर्माण एवं अमरावती कला का विकास शातकर्णी एवं अन्य सभी सातवाहन शासक दक्षिणापथ के स्वामी कहे जाते थे। 

चेदी राजवंश ,(कलिंग ) 

अशोक की मृत्यु के उपरांत संभवतः प्रथम शताब्दी ई. पू. में कलिंग में चेदी राजवंश का उदय हुआ। इसकी जानकारी हमें हाथी गुम्फा अभिलेख (भुवनेश्वर, उडी़सा ) से मिलती है। खारवेल इस वंश का एक प्रतापी राजा था। खारवेल जैन धर्म का अनुयायी था। और उसने जैन मुनियों के लिए उदयगिरि की पहाडी़ में गुफा का निर्माण करवाया था।

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