द्रौपदी मुर्मू ने रचा इतिहास, भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति निर्वाचित

द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय हिंदी
द्रौपदी मुर्मू का जन्म २० जून १९५८ को ओड़िशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में एक संथाल परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंचि नारायण टुडु था। उनके दादा और उनके पिता दोनों ही उनके गाँव के प्रधान रहे। उन्होंने श्याम चरण मुर्मू से विवाह किया।


नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को एकतरफा मुकाबले में हराने के साथ ही भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति निर्वाचित होकर इतिहास रच दिया।

 


मुर्मू (64) ने देश के 15वें राष्ट्रपति बनने के लिए निर्वाचक मंडल सहित सांसदों और विधायकों के मतपत्रों की मतगणना में 64 प्रतिशत से अधिक मान्य मत प्राप्त करने के बाद सिन्हा के खिलाफ भारी मतों से जीत हासिल की।

दस घंटे से अधिक समय तक चली मतगणना प्रक्रिया की समाप्ति के बाद, निर्वाचन अधिकारी पी. सी. मोदी ने मुर्मू को विजेता घोषित किया और कहा कि उन्हें सिन्हा के 3,80,177 मतों के मुकाबले 6,76,803 जित हासिल हुए।

केरल के एक विधायक को छोड़कर सभी विधायकों ने सिन्हा को वोट दिया जबकि मुर्मू को आंध्र प्रदेश से सभी मत मिले।

वह स्वतंत्रता के बाद पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति होंगी और शीर्ष पद पर काबिज होने वाली सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति होंगी। वह राष्ट्रपति बनने वाली दूसरी महिला भी हैं। वह 25 जुलाई को पद और गोपनीयता की शपथ लेंगी। शपथ लेने के साथ ही वह आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बन जाएंगी।


मतगणना के तीसरे दौर के बाद ही उनकी जीत पर मुहर लग गई थी, जब निर्वाचन अधिकारी ने घोषणा की कि मुर्मू को कुल मान्य मतों के 53 प्रतिशत से अधिक मत प्राप्त हो चुके है, जबकि 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मतपत्रों की गिनती चल रही थी।

राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा मुर्मू की जीत पर उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा कि हर भारतीय उम्मीद करता है कि 15वें राष्ट्रपति के रूप में वह बिना किसी डर या पक्षपात के ‘‘संविधान के संरक्षक’’ के रूप में कार्य करेंगी।

सिन्हा ने एक बयान में विपक्षी दलों के नेताओं को इस चुनाव में उन्हें अपने उम्मीदवार के रूप में चुनने के लिए धन्यवाद दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं निर्वाचक मंडल (इलेक्टोरल कॉलेज) के सभी सदस्यों को भी धन्यवाद देता हूं जिन्होंने मुझे वोट दिया। मैंने विपक्षी दलों के प्रस्ताव को पूरी तरह से भगवद गीता में भगवान कृष्ण द्वारा दिये गये कर्म योग के उस उपदेश के आधार पर स्वीकार किया कि ‘फल की उम्मीद के बिना अपना कर्तव्य करते रहो।’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने देश के प्रति अपने प्रेम के कारण अपना कर्तव्य पूरी ईमानदारी से निभाया है। मैंने अपने अभियान के दौरान जो मुद्दे उठाए थे, वे प्रासंगिक हैं।’’

एक बयान में, सिन्हा ने देश की स्थिति पर भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत ने कभी भी ‘‘इतने बड़े स्तर पर राजनीतिक भ्रष्टाचार’’ नहीं देखा है, और यह ‘‘ध्रुवीकरण की जहरीली राजनीति’’ के साथ मिलकर लोकतंत्र और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए एक गंभीर खतरा है।


उन्होंने यह भी कहा कि अपने चुनाव अभियान के दौरान, उन्होंने देश और आम लोगों के सामने प्रमुख मुद्दों पर विपक्षी दलों के विचारों, चिंताओं और प्रतिबद्धताओं को सामने रखने का प्रयास किया।

सिन्हा ने कहा, ‘‘मैंने विपक्षी दलों और उनके नेताओं के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), आयकर विभाग और यहां तक कि राज्यपाल के कार्यालयों को खुलेआम और बड़े पैमाने पर हथियार बनाने पर कड़ी चिंता व्यक्त की है।’’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा मुर्मू को बधाई देने के लिए उनके आवास पर गये।

मोदी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में पूर्वी भारत के सुदूर हिस्से से ताल्लुक रखने वाली एक आदिवासी समुदाय में जन्मी नेता को राष्ट्रपति निर्वाचित कर भारत ने इतिहास रच दिया है।

मुर्मू की जीत की घोषणा के बाद एक के बाद एक ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विधायक, मंत्री और झारखंड के राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल बहुत उत्कृष्ट रहा।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे पूरा भरोसा है कि वह एक उत्कृष्ट राष्ट्रपति होंगी जो आगे बढ़कर नेतृत्व करेंगी और भारत की विकास यात्रा को मजबूत करेंगी।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि द्रौपदी मुर्मू का जीवन, उनके शुरुआती संघर्ष, उनकी सेवा और उनकी उत्कृष्ट सफलता हर भारतीय को प्रेरित करती है। उन्होंने कहा, ‘‘वह एक उम्मीद की किरण के रूप में उभरी है, खासकर गरीबों, वंचितों और पिछड़ों के लिए।’’


उन्होंने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रपति चुनाव में मुर्मू के पक्ष में मतदान करने वाले सभी सांसदों और विधायकों का धन्यवाद किया।

मतगणना शुरू होने के तुरंत बाद और उनकी जीत तय होने के बाद उनके पैतृक शहर रायरंगपुर में ‘‘ओडिशा की बेटी’’ को बधाई देने के लिए जश्न शुरू हुआ और लोक कलाकारों और आदिवासी नर्तकों ने सड़कों पर नृत्य किया।

मुर्मू की आदिवासी पृष्ठभूमि ने न केवल उन्हें शीर्ष पद पर पहुंचाने में मदद की, बल्कि उन्हें मैदान में उतारकर भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव के अलावा गुजरात, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों में एसटी समुदाय के महत्वपूर्ण वोटों पर भी नजर गड़ाए हुए है।

उनकी जीत निश्चित लग रही थी और बीजू जनता दल (बीजद), शिवसेना, झारखंड मुक्ति मोर्चा, वाईएसआर कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) जैसे विपक्षी दलों के समर्थन से उनका पक्ष मजबूत हुआ था।

ओडिशा में अपने पैर जमाने का प्रयास कर रही भाजपा का ध्यान आदिवासी बहूल मयूरभंज पर हमेशा से रहा है। बीजद ने 2009 में भाजपा से नाता तोड़ लिया था और तब से इसने ओडिशा पर अपनी पकड़ मजबूत कर रखी है। मुर्मू ने 2014 का विधानसभा चुनाव रायरंगपुर से लड़ा था, लेकिन वह बीजद उम्मीदवार से हार गई थी।

मुर्मू का जन्म 20 जून, 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले में हुआ था। रायरंगपुर से ही उन्होंने भाजपा की सीढ़ी पर पहला कदम रखा था। वह 1997 में स्थानीय अधिसूचित क्षेत्र परिषद में पार्षद बनी थीं और 2000 से 2004 तक ओडिशा की बीजद-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री बनीं। वर्ष 2015 में, उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया और 2021 तक इस पद पर रहीं।

वह संथाली और ओडिया भाषाओं में एक उत्कृष्ट वक्ता हैं। उन्होंने क्षेत्र में सड़कों और बंदरगाहों जैसे बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है।

चमक दमक और प्रचार से दूर रहने वाली मुर्मू ब्रह्मकुमारियों की ध्यान तकनीकों की गहन अभ्यासी हैं। उन्होंने गहन अध्यात्म और चिंतन का दामन उस वक्त थामा था, जब उन्होंने 2009 से लेकर 2015 तक की छह वर्षों की अवधि में अपने पति, दो बेटों, मां और भाई को खो दिया था।

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भाषा | 
नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सिंगापुर दौरे के प्रस्ताव को मंजूरी देने से इनकार करने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ‘‘ओछी राजनीति’’ करने का आरोप लगाया। आप विधायक आतिशी और दुर्गेश पाठक ने पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान दावा किया कि उपराज्यपाल ने केजरीवाल की विदेश यात्रा को मंजूरी नहीं दी, क्योंकि प्रधानमंत्री उनकी (केजरीवाल की) बढ़ती लोकप्रियता से 'डर' गए हैं। सिंगापुर सरकार ने केजरीवाल को अगस्त के पहले सप्ताह में होने वाले ‘वर्ल्ड सिटीज’ शिखर सम्मेलन में
 
नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सिंगापुर दौरे के प्रस्ताव को मंजूरी देने से इनकार करने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ‘‘ओछी राजनीति’’ करने का आरोप लगाया।
आप विधायक आतिशी और दुर्गेश पाठक ने पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान दावा किया कि उपराज्यपाल ने केजरीवाल की विदेश यात्रा को मंजूरी नहीं दी, क्योंकि प्रधानमंत्री उनकी (केजरीवाल की) बढ़ती लोकप्रियता से 'डर' गए हैं।


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सिंगापुर सरकार ने केजरीवाल को अगस्त के पहले सप्ताह में होने वाले ‘वर्ल्ड सिटीज’ शिखर सम्मेलन में शामिल होने का न्योता दिया है, लेकिन दिल्ली के उपराज्यपाल ने उनका अनुरोध यह कहते हुए वापस कर दिया कि महापौरों के सम्मेलन में उनकी मौजूदगी एक ‘‘खराब मिसाल’’ स्थापित करेगी।

आधिकारिक सूत्रों ने बृहस्पतिवार को कहा कि उपराज्यपाल सक्सेना ने केजरीवाल को सम्मेलन में भाग न लेने की सलाह दी है, क्योंकि यह महापौरों का सम्मेलन है और इसमें शामिल होना एक मुख्यमंत्री के लिए उपयुक्त नहीं होगा।

आतिशी ने आरोप लगाया, "वह (मोदी) डरे हुए हैं, क्योंकि केजरीवाल एक ऐसे नेता के रूप में उभर रहे हैं, जो उन्हें चुनौती दे सकते हैं। उन्हें (मोदी को) लगता है कि अगर केजरीवाल सिंगापुर जाएंगे और दिल्ली सरकार के कामकाज की सराहना करेंगे, तो वह (केजरीवाल) बहुत बड़े नेता बन जाएंगे।"

उन्होंने आरोप लगाया, "ऐसा इसलिए है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाला केंद्र और उसके उपराज्यपाल यह पचा नहीं पा रहे हैं कि दुनिया भर के नेता केजरीवाल को सुनना चाहते हैं।"

आतिशी ने कहा कि यह भारत के लिए "गौरव का क्षण" होगा यदि केजरीवाल विकास के ‘दिल्ली मॉडल’ और उनकी सरकार द्वारा पानी, बिजली, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए किये गए कार्यों के बारे में दुनिया के विभिन्न देशों के नेताओं को अवगत कराएंगे।

आतिशी ने आरोप लगाया, "भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री केजरीवाल से इतनी नफरत करते हैं कि उन्हें (मोदी को) भारत के गौरव की भी परवाह नहीं है। यह दुख की बात है कि ओछी राजनीति और डर के कारण मोदी भारत के बारे में भूल गए।"

आप नेता दुर्गेश पाठक ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने केजरीवाल का विरोध करते-करते देश का विरोध करना शुरू कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया, "मोदी और उनकी टीम से बड़ा देशद्रोही कोई नहीं है।"

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक बयान में कहा कि केजरीवाल ने मुख्यमंत्री के रूप में अपनी सिंगापुर यात्रा के लिए राजनीतिक मंजूरी के लिए विदेश मंत्रालय (एमईए) से संपर्क किया है।

उन्होंने उम्मीद जताई कि विदेश मंत्रालय केजरीवाल की यात्रा को मंजूरी देगा।

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