शिवरात्रि व्रत कथा shivratri vrat katha शिवरात्रि की कहानी shivratri ki kahani 2022

शिवरात्रि व्रत कथा shivratri vrat katha शिवरात्रि की कहानी shivratri ki kahani 2022
नमस्कार दोस्तो आज के इस पोस्ट मे हम आपको महाशिरात्रि की रोचक व्रत कथा बताए गे प्रचीन काल मे किसी जगल मे एक शकारी रहता था जिसका नाम गुरूध्रुव था जो जगली जानवर का शिकार रहता था अपने परिवार का पालन पोसन शिकार कर के किया करता था एक दिन महाशिवरात्रि के दिन शिकार निकला पर उस दिन उसे कोई शिकार नही मिला वह शिकारी दिन भर भुखा पेयासा रह गया इस तरह उसका शिवरात्रि का व्रत हो गया और उसके परिवार के सभी लोग भुखे रहे गे इस बात से वह बहुत चिथीत था सुर्यअस्थ होने पर वह एक नदी के पास गया जहां पर नदी के कीनारे बेल का पेड़ था और पेड़ के निचे शिवलिंग था जिसके बारे मे उस शिकारी को नही पता था वह नदी से थोडा जल लेकर पेड़ चड़ गया और उसे आशा था कि कोई जानवर वहां नदी मे पानी पीने आ यगा तो मै इसका शिकार करूगा रात होने से पहले वहां एक हिरण आई तो शिकारी ने देख कर अपना धनुष पर तीर रख कर तान दी और शिकारी के हाथ के धक्के से थोडा पानी के बुन दे और थोडा़ बेल पत्र गिरा निचे शिवलिंग पर तो अंजाने मे ही सही शिकारी का पहला पहर का पुजा हो गया पानी और पते गिरने से हिरण ऊपर देखा तो ड़र गई और कापते हुए शिकारी से बोली मुझे मत मारो तो शिकारी ने कहा मैं और मेरा पुरा परिवार भुखा है इस लिए मै तुमे नही छोड़ सकता तो हिरणी बोली मेरी बच्चे मेरा इतजार कर रहे है मै अपने बच्चे को अपने पति के पास छोड़ कर आपस आउगी मैरा विश्वास करो अगर मै आपस नही आई तो मुझे वह पाप लगे जो एक शिव दोषी लगे इस तरह हिरण ने शिकारी को विश्वास दि लाया तो तब उसे शिकारी जाने दिया थोडा देर बाद एक मोटा सा हिरण जल पिने चली आ रही तो शिकारी ने देख कर शिकारी नेअपना धनुष तान दिया तभी उसके हाथ के धक्के से थोडा़ जल और थोडा़ बेलपत्र शिवलिंग पर गिरा और शिकारी का अंजाने मे सही दुसरा पहर का भी पुजा हो गया पानी और पता के अवाज से हिरण ऊपर देखा तो शिकारी को देख कर डर गई और बोली यह तुम क्या कर रहे हो मे अपनी घर पर अपने बच्चे को छोड़ कर आई हूँ तुम हमको इतना समय दे दो कि मे अपनी बच्चे को आखरी बार देख लू मेरा विश्वास करो शिकरी ने हिरण को जाने दिया हिरण ने नदी से पानी पी या चला गया दोनो हिरण घर जाके दोनो हिरण आपस मे बात करने लगी हिरणी बोली मे उस शिकारी के पास जाउगा हिरण बोला बीना माँ के बच्चे को मे कैसे पालन गरूगा नही मे उस शकारी के पास जाउगा हिरणी बोली नही मै आपके बिना नही रह पाउगी वह दोनो अपने बच्चे को समझाया और दोनो हिरण शिकारी के पास गई तो बच्चे ने देखा कि माता पिता जा रहे है तो हम क्या करे गे वह बच्चे भी उनके साथ शिकारी के पास गई शिकारी ने उन हिरण को देख कर धनुष पर तीर ताना फिर से उसके हाथ से थोडा़ पानी और बेलपत्र शिवलिंग पर गिरा इस तरह शिकारी कि तिसरी पहर की पुजा हो गई और शिकारी का पुरा पाप खत्म हो गई और उसे ज्ञान कि प्राप्ती हुई और हिरण ने बोली हम लोग आगय है हमरा शिकार कर लो और अपना परिवार का पेट भर लेना भगवान शिव की कृर्पा से ज्ञान कि प्राप्त हुई थी शिकारी सोचने लगा यह जानवर हो के भी अपना वचन निभाया और अपना शरीर त्याग करने चले आय और मै इंसान होकर भी शिकार करता हूँ सोच कर बोला और आप लोग धन्य हो आप लोग जाव मे नही मारुगा तबी भगवान शिव प्रकट हुए
और बौले मै तुमे से प्रसन हुआ तुम जो चाहो वह मांगो शिकारी भगवान शिव के पैर पर गिर कर माफी मागने लगा भगवान शिव जी ने उस शिकारी को बहुत सारे धन दोलत दीया अब शिकारी शिकार करना छोड़ दीया तो दोस्तो कैसा लगा यह कहानी

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