महिलाओं द्वारा मात्र 80 रुपये में शुरू किया व्यवसाय, आज 800 करोड़ का बिज़नेस एम्पायर है

 Mumbai: आज महिलाएं घर का चूल्हा-चौका करने और घर की चार दीवारी के बीच बिताने वाली जिंदगी से निकल नए मुकाम को ओर निकाल पड़ी है।देश की महिला शक्ति ने राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की हैं। इसके कई प्रमाण हमारे सामने उपस्थित हैं।

लगभग प्रत्येक देश में आज इनकी सहभागिता सुनिश्चित हो गई है। यहां तक कि जिन कार्य क्षेत्रों को पुरुषप्रधान माना जाता था, अब उनमें भी महिलाये शामिल हो गई हैं। आज भारत की नारी रेल चलाने से लेकर प्लेन तक उड़ा रही हैं। हर क्षेत्र में अपनी जीत का परचम लहरा रही है।

आज हम आपको एक ऐसी कहानी के बारे में बताने जा रहे है। जिसमें महिलाओं का एक अलग ही रूप नजर आएगा। मुंबई के गिरगांव (Girgaon) में रहने वाली यह 7 महिलाएं एक साथ रहती थी। इनके पति और बच्चों के जाने के बाद इनके पास काफी समय था।

इन्होंने उस समय का सदुपयोग करते हुए एक बिजनेस (Business) के बारे में सोचा। परंतु इन सातों महिलाओं के पास पैसे की कमी थी। इसी कारण इन्होंने 80 Ru का कर्ज लिया और एक नए सिरे से शुरुआत कर दी। उन्होंने इसकी शुरुआत समय का सदुपयोग और जीवन को व्यस्त बनाने के लिए की थी परंतु धीरे-धीरे करोड रुपए सालाना के रूप में आने लगे और एक बड़ा व्यवसाय बन गया।

जब यह व्यवसाय धीरे धीरे बढ़ने लगा तो महिलाओं को इस काम में आनंद आने लगा। अब कुछ महिलाएं पापड़ के लिए आटा गूंथने के लिए सुबह से जूटने लगी और उसके बाद पापड़ बनाती थी।
इस प्रकार इस व्यवसाय में और भी महिलाएं (Women) जुड़ गई उनको दिन में आटा बांट दिया जाता था और दूसरे दिन वह पापड़ बना कर केंद्र में जमा करती थी, इस प्रकार नए सदस्य जुड़े और उन्होंने पापड़ बनाना भी सीखा, इससे धीरे धीरे कई महिलाओं को रोजगार सा मिल गया।

इस प्रकार लिज्जत पापड़ धीरे-धीरे बढ़ता गया और उसके अन्य केंद्र भी खुलते गए। होटल इज्जत पापड़ (Lijjat Papad) के 63 केंद्र और 40 मंडल बन गए। जसवंती बेन अपनी भारी बिक्री और बढ़ती सफलता के कारण कहती थी कि “गुणवत्ता से कभी भी समझौता नहीं करना चाहिए” और बता दी थी कि मैं महिलाओं को आटा देने से पहले मैं उसे जांच करती हूं।

फिर उसके बाद महिलाओं को आटा देती हूं। यदि आटे की गुणवत्ता सही नहीं हो, तो मैं उससे पापड़ नहीं बनाने देती हूं और साथ ही स्वच्छता का ध्यान रखती हूं। महिलाओं से भी इसके लिए हमेशा कहती रहती हूं कि स्वच्छ वातावरण में ही पापड़ को बनाएं।

वर्तमान समय में जसवंती बेन (Jaswantiben Jamnadas Popat) महिलाओं के लिए एक आदर्श के रूप में है। उनकी इच्छा शक्ति इतनी मजबूत है कि वह दूसरी महिलाओं को भी प्रेरित करती हैं। वह रोज 4:30 बजे उठ जाती हैं। अपना काम 5:30 बजे से शुरू कर देती हैं। उनका कहना है कि यदि कोई मन बना कर ईमानदारी के साथ कोई कार्य करना आरंभ करें तो उसे सफलता अवश्य मिलेगी।

यह कहानी सिर्फ कामयाबी की नहीं है, बल्कि यह हर भारतीय महिला को गौरवान्वित होने का मौका देती है। इस कहानी के माध्यम से सिर्फ एक ही कहावत याद आती है कि अगर आपमें जुनून और हौसला है, तो भगवान भी आपका साथ जरूर देता है।


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